बर्तन का महत्व:-



बर्तन का महत्व

एल्युमिनियम और स्टील के बर्तन दोनो ही जहर है।
ऐसा भोजन कभी ना खाएं जो सूर्य के प्रकाश और वायु के सम्पर्क में ना बनाया गया हो, जैसे कुकर, माइक्रोवेव ओवन, फ्रिज आदि में पका हुआ/ रखा हुआ चावल , दाल, आलू आदि ।।

एल्युमिनियम के बर्तन जेल में बन्द भारत के क्रांतिकारी के लिए अंग्रेजो ने चलवाये जिससे ये कमजोर हो एव बीमार रहे और स्वत् ही मृत्यु को प्राप्त हो

एल्युमिनयम बहुत भारी तत्व है, हमारा शरीर यह पदार्थ शरीर से बाहर नही निकाल पाता है, और विष के रूप में शरीर मे एकत्रित होता रहता है

एल्युमिनियम के बर्तन में पका हुआ एव रखा हुआ भोजन जहर के समान ही है, कुल 48 बीमारियों का कारण है

एल्युमिनियम के बर्तनों में पके भोजन से अस्थमा ,दमा,  शुगर,थाइराइड, लकवा, ब्रेनहेमरेज और टीबी 100% हो जाएगा मात्र 10 वर्ष में

सोलर कुकर में भी आजकल एल्युमिनियम का प्रयोग कर रहे है, वह भी बहुत हानिकारक है

कुछ बदलाव घर के बर्तनों में कीजिये, सबसे अच्छे तो मिट्टी के है, सभी बर्तन मिट्टी के हो तो सबसे अच्छा।।

कम से कम लोहे की एक कढ़ाई अवश्य हो,जिसमें सब्जी पकाई जाए

दूध,दही आदि रखने के लिए मिट्टी के बर्तन हो

दूध गर्म करने के लिए भी मिट्टी के बर्तन ही हो

दाले आदि पकाने के बाद मिट्टी के बर्तन में ही रखें तो सबसे बेहतर

सब्जी पकाने और पकाकर रखने के लिये कांसे के बर्तन भी अच्छे है एक दो बर्तन पतीला आदि लेकर रखें

कांसे में खट्टी चीजे या खट्टी सब्जियां न पकाये न
और ना ही पकाकर रखे

घर मे सभी सदस्यो के अनुसार ताँबे का लोटा रखें,जिससे समय समय पर ताँबे का पानी पीते रहे

ताँबे के लोटे में दूध या इससे बना कुछ भी न पिएं

सब्जी बनाने और बनाकर रखने के लिए पतीला, भगोना आदि पीतल के भी एक दो बर्तन लाये

खांना खाने के लिए भी पीतल के कटोरी, चम्मच, थाली आदि लाये..... यदि घर मे 6 सदस्य है तो कम से कम....4 थाली कटोरी चम्मच गिलास आदि तो पीतल का ला ही सकते है

सोना-
सोना एक गर्म धातु है। सोने से बने पात्र में भोजन बनाने, रखने और करने से शरीर के आन्तरिक और बाहरी दोनों हिस्से कठोर, बलवान, ताकतवर और मजबूत बनते है और साथ साथ सोना आँखों की रौशनी बढ़ता है।
इसका इस्तेमाल सर्दी के मौसम में करे

चाँदी-
चाँदी एक ठंडी धातु है, जो शरीर को आंतरिक ठंडक पहुंचाती है। शरीर को शांत रखती है  इसके पात्र में भोजन बनाने और करने से दिमाग तेज होता है, आँखों स्वस्थ रहती है, आँखों की रौशनी बढती है और इसके अलावा पित्तदोष, कफ और वायुदोष को नियंत्रित रहता है।
इसका इस्तेमाल गर्मी के मौसम में करे

तांबा-
तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से व्यक्ति रोग मुक्त बनता है, रक्त शुद्ध होता है, स्मरण-शक्ति अच्छी होती है, लीवर संबंधी समस्या दूर होती है, तांबे का पानी शरीर के विषैले तत्वों को खत्म कर देता है इसलिए इस पात्र में रखा पानी स्वास्थ्य के लिए उत्तम होता है.

तांबे के बर्तन में दूध,दही, छाछ नहीं पीना चाहिए इससे शरीर को नुकसान होता है।
इसका इस्तेमाल बारिश के मौसम में करे

लोहा-
लोहे के बर्तन में बने भोजन खाने से  शरीर  की  शक्ति बढती है, लोह्तत्व शरीर में जरूरी पोषक तत्वों को बढ़ता है। लोहा कई रोग को खत्म करता है, पांडू रोग मिटाता है, शरीर में सूजन और  पीलापन नहीं आने देता, कामला रोग को खत्म करता है, और पीलिया रोग को दूर रखता है।
लोहे के पात्र में दूध पीना अच्छा होता है।
लोहे के बर्तन में खाना नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसमें खाना खाने से बुद्धि कम होती है और दिमाग का नाश होता है। 
इसका इस्तेमाल किसी भी मौसम में कर सकते ह

पीतल-
पीतल के बर्तन में भोजन पकाने और करने से कृमि रोग, कफ और वायुदोष की बीमारी नहीं होती। पीतल के बर्तन में खाना बनाने से केवल 7 प्रतिशत पोषक तत्व नष्ट होते हैं।
इसका इस्तेमाल किसी भी मौसम में कर सकते है

स्टील-
ये ना ही गर्म से क्रिया करते है और ना ही अम्ल से. इसमें खाना बनाने और खाने से शरीर को कोई फायदा भी नहीं पहुँचता
इसका इस्तेमाल न करें तो बेहतर अगर करे तो भी कोई फायदा नही।

एलुमिनियम-
यह जहर है। एल्युमिनियम बॉक्साइट का बना होता है। इसमें बने खाने से शरीर को सिर्फ नुकसान होता है। यह आयरन और कैल्शियम को सोखता है इसलिए इससे बने पात्र का उपयोग नहीं करना चाहिए। इससे हड्डियां कमजोर होती है. मानसिक बीमारियाँ होती है, लीवर और नर्वस सिस्टम को क्षति पहुंचती है। उसके साथ साथ किडनी फेल होना, टी बी, अस्थमा, दमा, बात रोग, शुगर जैसी गंभीर बीमारियाँ होती है। एलुमिनियम में खांना बनाने से 87 प्रतिशत पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं।
इसका इस्तेमाल कभी न करें

काँसा-
काँसे के बर्तन में खाना खाने से बुद्धि तेज होती है, रक्त में  शुद्धता आती है, रक्तपित शांत रहता है और भूख बढ़ाती है। कांसे के बर्तन में खाना बनाने से केवल 3 प्रतिशत ही पोषक तत्व नष्ट होते हैं।
लेकिन काँसे के बर्तन में खट्टी चीजे नहीं परोसनी चाहिए खट्टी चीजे इस धातु से क्रिया करके विषैली हो जाती है जो नुकसान देती है।
इसका इस्तेमाल किसी भी मौसम में कर सकते है, यह मिट्टी के बाद सर्वश्रेष्ट धातु है

मिट्टी-
मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने से ऐसे पोषक तत्व मिलते हैं, जो हर बीमारी को शरीर से दूर रखते थे। इस बात को अब आधुनिक विज्ञान भी साबित कर चुका है कि मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने से शरीर के कई तरह के रोग ठीक होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, अगर भोजन को पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाना है तो उसे धीरे-धीरे ही पकना चाहिए। भले ही मिट्टी के बर्तनों में खाना बनने में वक़्त थोड़ा ज्यादा लगता है, लेकिन इससे सेहत को पूरा लाभ मिलता है। दूध और दूध से बने उत्पादों के लिए सबसे उपयुक्त है मिट्टी के बर्तन। मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने से पूरे 100 प्रतिशत पोषक तत्व मिलते हैं। और यदि मिट्टी के बर्तन में खाना खाया जाए तो उसका अलग से स्वाद भी आता है।
इसका उपयोग जीवन भर किसी भी मौसम में कर सकते है, यह एकलौता सर्वोत्तम धातु है

मिट्टी के बर्तन में पके भोजन के लाभ:-

गठिया ठीक
शुगर ठीक
दमा ठीक
अर्थराइटिस ठीक
आंखे कभी खराब नहीं होगी
सरदर्द कभी नही
फेफड़े, लीवर, किडनी कभी खराब नहीं
कोई रोग कभी नही आएगा, यदि रोग है तो खुद ठीक हो जाएगा बिना किसी दवा के।
कैंसर कभी नही हो सकता
शरीर को सभी 18 पोषक तत्व मिलते है

मिट्टी की हांडी की दाल,दूध, पानी, सब्जी, चावल, रोटी आदि के लिए बर्तन अवश्य लाये, यदि सभी बर्तन नही ला सकते तो।।।

इलाज से बेहतर बचाव हैस्वदेशी बने प्रकृति से जुड़े

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