जाने शीशम की छाल, जड़, पत्ते, फूल और फली कितने बीमारियों में कारगर

 अयोध्या : शीशम के हैं बहुत चमत्कारिक लाभ,  आपने शीशम के पेड़ को सड़क या बाग-बगीचे में देखा होगा। शीशम की लकड़ी बहुत मजबूत मानी जाती है। आपके घर में भी शीशम की लड़की के कई फर्नीचर बने हुए होंगे। अधिकांशतः शीशम का उपयोग उसकी मजबूत लकड़ी के लिए ही किया जाता है। लोगों को जानकारी ही नहीं है कि शीशम के लकड़ी के अलावा भी अनेक फायदे हैं। आयुर्वेद के अनुसार, शीशम को औषधि के रूप में इस्तेमाल में लाया जाता है, और शीशम से लाभ लेकर कई रोगों का इलाज किया जाता है। आपको यह जानकर आश्चर्य हो रहा होगा, लेकिन यह सच है। शीशम  के औषधीय गुण से बीमारियों का इलाज संभव है। यहां शीशम के उपयोग से होने वाले फायदे के बारे में बहुत सारी जानकारियां दी गई हैं। आइए जानते हैं कि आप शीशम से किस-किस बीमारी में लाभ ले सकते हैं। शीशम की लकड़ी का प्रयोग भवनों और फर्नीचर के निर्माण में किया जाता है। इसके साथ ही शीशम के वृक्ष की लकड़ी और बीजों से तेल निकाला जाता है, जिसका औषधि के रूप में प्रयोग होता है। शीशम की निम्नलिखित प्रजातियों का प्रयोग चिकित्सा में किया जाता है।

शीशम की छाल, जड़, पत्ते, फूल और फली बीमारियों में कारगर

हमारे वातावरण में मौजूद वनस्पति में कई ऐसी औषधियां हैं जो सेहत के लिहाज से मददगार हैं। सदाबहार पेड़ शीशम की पत्तियां चौड़ी होती हैं। आमतौर पर इसकी लकड़ी का प्रयोग फर्नीचर बनाने में होता है। इसके तेल, जड़, छाल, फूल, फली व पत्तों से निकला चिपचिपा पदार्थ कई रोगों के इलाज में लाभकारी है।पोषक तत्व व फायदे

एंटीबैक्टीरियल, एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर तेल में हल्दी मिलाकर लगाने से फ टी एड़ी और घाव जल्दी भरता है। आंखों में जलन, पानी आना, लाल होने पर इसके पत्तों को पीसकर आंखें बंद करीब एक घंटे तक रखें, इससे आराम मिलेगा। इसके अलावा पाचन बिगडऩे, जोड़ों में दर्द, त्वचा, हृदय व दांत संबंधी दिक्कतें होने पर शीशम के पत्ते व जड़ प्रयोग में लेते हैं। ऐसे करें प्रयोग

* दांतदर्द में शीशम का तेल की रुई का फाहा लगाने से आराम मिलता है।

* पांच पत्तों के साथ मिश्री लेने से प्यास कम लगेगी, पसीना कम आएगा।

* गुनगुने दूध में 1० से 15 बूंद तेल मिलाकर लेने से कफ में लाभ होगा।

* सर्दी-जुकाम में 8 से १० पत्ते उबालें। ठंडा होने पर छानकर पीएं।

* उल्टी की समस्या में पेड़ की छाल का काढ़ा और मधुमेह में नीम, शीशम व सदाबहार के पत्ते उबालकर लें।

 शरीर की जलन में शीशम के तेल के फायदे 

कई पुरुष या महिलाओं को शरीर में जलन की शिकायत रहती है। ऐसे में शीशम के तेल से लाभ मिलता है। शरीर के जिस अंग में जलन हो, वहां शीशम का तेल लगाएं। शरीर की जलन ठीक हो जाती है।

पेट की जलन में शीशम के औषधीय गुण से लाभ 

आप शीशम के फायदे से पेट की जलन का इलाज कर सकते हैं। 10-15 मिली शीशम के पत्ते का रस लें। इसे पिएं। इससे पेट की जलन ठीक होती है।

आंखों की बीमारी में शीशम का औषधीय गुण फायदेमंद 

आंखों की बीमारी जैसे आंखों में जलन में शीशम का इस्तेमाल लाभ पहुंचाता है। शीशम के पत्ते  के रस में मधु मिला लें। इसे 1-2 बूंदें आंखों में डालने से जलन से आराम मिलता है।

बुखार में शीशम के सेवन से लाभ 

हर तरह के बुखार में शीशम से औषधीय गुण से लाभ मिलता है। शीशम का सार 20 ग्राम, पानी 320 मिली और दूध 160 मिली लें। इनको मिलाकर दूध में पकाएं। जब दूध थोड़ा रह जाए तो दिन में 3 बार पिलाएं। इसे बुखार ठीक होता है।एनीमिया में शीशम के सेवन से फायदा ।

एनीमिया में व्यक्ति के शरीर में खून की कमी हो जाती है

आप शीशम के औषधीय गुण से एनीमिया में लाभ ले सकते हैं। एनीमिया को ठीक करने के लिए 10-15 मिली शीशम के पत्ते का रस लें। इसे सुबह और शाम लेने से एनीमिया में भी लाभ होता है।

मूत्र रोग में शीशम का सेवन फायदेमंद 

मूत्र रोग जैसे पेशाब का रुक-रुक कर आना, पेशाब में जलन होना, पेशाब में दर्द होने पर शीशम के सेवन से फायदा होता है। 20-40 मिली शीशम के पत्ते का काढ़ा बनाएं। इसे दिन में 3 बार पिलाएं। इससे पेशाब का रुक-रुक कर आना, पेशाब में जलन होना, पेशाब में दर्द होना आदि समस्याओं में लाभ होता है।इसके साथ ही 10-20 मिली पत्ते  काढ़ा का सेवन करने से भी लाभ होता है।गोनोरिया में शीशम के सेवन से लाभ होता है,शीशम के सेवन से गोनोरिया रोग का इलाज किया जाता है। शीशम के 8-10 पत्ते व 25 ग्राम मिश्री को मिलाकर पीस लें। इसे सुबह और शाम सेवन करें। इससे गोनोरिया रोग ठीक हो जाता है।

दस्त में शीशम के सेवन से फायदा 

आप दस्त को रोकने के लिए भी शीशम का सेवन कर सकते हैं। शीशम के पत्ते, कचनार के पत्ते तथा जौ लें। तीनों को मिलाकर काढ़ा बनाएं। अब 10-20 मिली काढ़ा में मात्रानुसार घी और दूध मिला लें। इसे मथकर गुदा के माध्यम से देने पर दस्त पर रोक लगती है।

हैजा में शीशम के सेवन से लाभ 

हैजा के इलाज में शीशम का औषधीय गुण फायदेमंद होता है। 5 ग्राम शीशम के पत्ते में 1 ग्राम पिप्पली, 1 ग्राम मरिच तथा 500 मिग्रा इलायची मिलाएं। इसे पीसकर 500 मिग्रा की गोली बना लें। 2-2 गोली सुबह और शाम देने से हैजा का इलाज होता है।गुदभ्रंश (गुदा से कांच निकल) में शीशा के सेवन से फायदा होता है,आप दस्त को रोकने के लिए भी शीशम का उपयोग कर सकते हैं। शीशम के पत्ते, कचनार के पत्ते तथा जौ लें। तीनों को मिलाकर काढ़ा बनाएं। अब 10-20 मिली काढ़ा में मात्रानुसार घी तथा दूध मिला लें। इसे मथकर गुदा के माध्यम से देने पर गुदभ्रंश ठीक होती है।

घाव में शीशम के फायदे 

शीशम के फायदे से घाव को भी ठीक किया जा सकता है। शीशम का तेल लेकर घाव पर लगाएं। इससे घाव ठीक हो जाता है। बेहतर लाभ के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।मासिक धर्म की रुकावट में शीशम का औषधीय गुण फायेदमंद है,

3-6 ग्राम शीशम के सार का चूर्ण बनाएं। इसे दिन में 2 बार लेने से मासिक धर्म की रुकावट खत्म होती है।

शीशम के 20-40 मिली काढ़ा को दिन में 2 बार देने से मासिक धर्म के समय होने वाले दर्द में कमी आती है।

10-15 मिली शीशम के पत्ते के रस को सुबह और शाम देने से मासिक धर्म में लाभ होता है।

शीशम के 8-10 पत्ते और 25 ग्राम मिश्री को मिलाकर घोट-पीसकर सुबह के समय सेवन करें। कुछ ही दिनों के सेवन से मासिक धर्म में होने वाला अनियमित रक्तस्राव सामान्य हो जाता है। सर्दियों या ठण्ड के मौसम में इस प्रयोग के साथ-साथ 4-5 काली मिर्च भी प्रयोग में लेनी चाहिए। मधुमेह के रोगी बिना मिश्री के प्रयोग में लाएं।

 शीशम के औषधीय गुण से ल्यूकोरिया का इलाज 

ल्यूकोरिया के इलाज में भी शीशम के फायदे मिलते हैं। शीशम के 8-10 पत्ते व 25 ग्राम मिश्री को मिलाकर घोट-पीसकर सुबह सेवन करें। इससे ल्यूकोरिया ठीक हो जाता है।शीशम के काढ़ा से योनि को धोने से भी ल्यूकोरिया में लाभ होता है।

सिफलिश रोग में शीशम के फायदे 

आप सिफलिश रोग के उपचार के लिए शीशम का सेवन करेंगे तो बहुत लाभ मिलता है। 15-30 मिली शीशम के पत्ते  के काढ़ा का सेवन करें। इससे सिफलिश  में लाभ होता है।

सुजाक रोग में शीशम का औषधीय गुण लाभदायक

शीशम के गुण से सुजाक का उपचार भी किया जा सकता है। सुजाक रोग के इलाज के लिए 10-15 मिली शीशम के पत्ते के रस को दिन में 3 बार पिएं। इससे सुजाक की बीमारी में लाभ होता है। किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की राय जरूर लें।

शीशम से औषधीय गुण से सायटिका का इलाज

शीशम की 10 किलो छाल का मोटा चूरा बनाकर 25 लीटर जल में उबालें। जब पानी का आठवां भाग बचे तब ठंडा होने पर कपड़े में छान लें। इसको फिर चूल्हे पर चढ़ाकर गाढ़ा करें। इस गाढ़े पदार्थ को 10 मिली की मात्रा में लें, और घी और दूध में पकाएं। इसे दिन में 3 बार लगातार 21 दिन तक लेने से सियाटिका रोग का इलाज होता है।

चर्म रोग में शीशम के फायदे 

शीशम का तेल चर्म रोगों पर लगाने से लाभ पहुँचता है। इससे खुजली भी ठीक हो जाती है।शीशम  के पत्तों के लुआब को तिल के तेल में मिला लें। इसे त्वचा पर लगाने से त्वचा की बीमारियों में लाभ होता है।20-40 मिली शीशम पत्ते से बने काढ़ा को सुबह और शाम पिलाने से फोड़े-फुन्सी मिटते हैं।कुष्ठ रोग में शीशम का औषधीय गुण फायदेमंद है,

शीशम के औषधीय गुण से कुष्ठ रोग का इलाज भी किया जा सकता है

 शीशम के 10 ग्राम सार को 500 मिली पानी में उबाल लें। जब पानी आधा रह जाए तो उतारकर छान लें। काढ़ा को 20 मिली मात्रा में लेकर शहद मिला लें। इसे 40 दिन सुबह और शाम पीने से कोढ़ (कुष्ठ) रोग में बहुत लाभ होता है।

20-40 मिली शीशम  पत्ते से बने काढ़ा को सुबह और शाम पिलाने से फोड़े-फुन्सी मिटते हैं। कोढ़ में भी इसके पत्तों का काढ़ा पिलाया जाता है।

 टीबी रोग की आयुर्वेदिक दवा है शीशम 

शीशम के पत्ते, कचनार के पत्ते तथा जौ लें। तीनों को मिलाकर काढ़ा बनाएं। अब 10-20 मिली काढ़ा में मात्रानुसार घी तथा दूध मिला लें। इसे मथकर पिच्छावस्ति देने से टीबी रोग ठीक होता है। इससे व्यक्ति स्वस्थ होता है।

रक्त-विकार की आयुर्वेदिक दवा है शीशम 

रक्त-विकार में शीशम से लाभ मिलता है। रक्त-विकार के इलाज के लिए शीशम के 3-6 ग्राम सूखे चूर्ण का शरबत बनाकर पिलाएं। इससे रक्त-विकार का ठीक होता है। शीशम  के 1 किग्रा बुरादे को 3 लीटर पानी में भिगोकर उबालें। जब पानी आधा रह जाए तो छानकर 750 ग्राम बूरा डालकर शर्बत बना लें। यह शर्बत रक्त को साफ करता है। रक्त संचार को सही रखने में भी शीशम का सेवन करना अच्छा रहता है। 5 मिली शीशम के पत्ते के रस में 10 ग्राम चीनी, और 100 मिली दही मिला लें। इसका सेवन करने से रक्त संचार (ब्लड शर्कुलेशन) ठीक रहता है।



 



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