अगर आप कटहल को सिर्फ स्वाद में मांसाहार का शाकाहारी विकल्प मानकर खाते हैं तो इसके पोषक तत्वों के बारे में जानने के बाद इसका स्वाद आपको और बेहतर लगेगा।देश के पूर्वी से लेकर पश्चिमी घाटों तक पाए जाने वाले कटहल की बहुउपयोगिता की जानकारी बहुत ही कम लोगों को है। देश में हर साल लगभग 2,000 करोड़ रुपये का कटहल बर्बाद हो जाता है जबकि विदेशों में इसका उपयोग पोटेशियम, मैग्नीशियम, आयरन, फाइबर, विटामिन ए, विटामिन सी और विटामिन बी 6 के एक अच्छे स्रोत के रूप में किया जाता है।
*100 ग्राम कटहल में 303 मिलीग्राम पोटैशियम, 24 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, विटामिन ए,सी और थाइमिन, 0.108 ग्राम विटामिन बी6, 37 ग्राम मैग्नीशियम, 94 कैलोरी, 14 एमसीजी फोलेट जैसे कई पोषक तत्व होते हैं।पोटैशियम की अधिकता की वजह से यह लो ब्लड प्रेशर में बहुत फायदेमंद है। इसके अलावा, यह डायरिया और दमा के रोगियों के लिए भी फायदेमंद है। विटामिन सी की वजह से यह एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है और पेट में अल्सर की आशंका कम करता है। *कटहल के फल के अलावा इसके बीज भी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद हैं। कटहल की मसालेदार सब्जी किसी के भी मुंह में पानी ला सकती है. ये दुनिया के सबसे बड़े फलों में से एक है. कटहल का इस्तेमाल न केवल सब्जी बनाने में बल्कि अचार, पकौड़े और कोफ्ता बनाने में भी किया जाता है| पका कटहल भी काफी पसंद किया जाता है| कटहल एक ऐसी सब्जी है जो कई औषधीय गुणों से भरपूर है, लेकिन फिर भी बहुत कम लोग हैं, जो इसका सेवन नियमित रूप से करते हैं। कटहल का वानस्पतिक नाम आर्टोकार्पस हेटेरोफिल्लस है। इसके फलों में कई महत्वपूर्ण कार्बोहाइड्रेट के अलावा कई विटामिन भी पाए जाते हैं। सब्जी के तौर पर खाने के अलावा कटहल का अचार और पापड़ भी बनाया जाता है।
जोड़ों के दर्द में रामबाण
फल के छिलकों से निकलने वाला दूध यदि गांठनुमा सूजन, घाव और कटे-फ़टे अंगों पर लगाया जाए तो आराम मिलता है। इसी दूध से जोड़ों पर मालिश की जाए तो जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है।
*कटहल में ढ़ेरों ऐसे तत्व होते हैं जो शरीर की कई आवश्यकताओं को पूरा करते हैं. इसमें विटामिन ए, विटामिन सी, थायमीन, पोटैशियम, कैल्शियम, आयरन और जिंक प्रचुर मात्रा में होता है|/ []).push({});
*इन सबके अलावा इसमें भरपूर फाइबर होता है. अच्छी बात ये है कि इसमें कैलोरी नहीं होती है. ऐसे में ये हार्ट से जुड़ी कई बीमारियों में भी फायेमंद है|
*डायबिटीज में लाभदायक-
गुजरात के आदिवासी कटहल की पत्तियों के रस का सेवन करने की सलाह डायबिटीज के रोगियों को देते हैं। यही रस हाई ब्लडप्रेशर के रोगियों के लिए भी उत्तम है।
कटहल में मैग्नीशियम भी पर्याप्त मात्रा में होता है. जिसकी वजह से हड्डियां भी स्वस्थ और मजबूत रहती हैं.
*खाना जल्दी पचा देता है
*पके हुए कटहल के गूदे को अच्छी तरह से मैश करके पानी में उबाल लें। इस मिश्रण को ठंडा कर एक गिलास पीने से जबरदस्त स्फूर्ति आती है। यही मिश्रण यदि अपच के शिकार रोगी को दिया जाए तो उसे फायदा मिलता है।कटहल में पाए जाने वाले विटामिन सी की वजह से रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी बनी रहती है.
*कटहल का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इसमें भरपूर रेशे होते हैं. जो पाचन क्रिया को बेहतर बनाए रखते हैं.
*कटहल में पाया जाने वाला पोटैशियम हार्ट से जुड़ी बीमारियों से सुरक्षित रखता है. उच्च रक्तचाप के मरीजों के लिए ये बहुत ही फायदेमंद है.
अल्सर में है बेहतरीन दवा
कटहल की पत्तियों की राख अल्सर के इलाज के लिए बहुत उपयोगी होती है। हरी ताजा पत्तियों को साफ धोकर सुखा लें। सूखने के बाद पत्तियों का चूर्ण तैयार करें। पेट के अल्सर से ग्रस्त व्यक्ति को इस चूर्ण को खिलाएं। अल्सर में बहुत जल्दी आराम मिलेगा।
ये आयरन का एक अच्छा स्रोत है जिसकी वजह से रक्ताल्पता से बचाव होता है. साथ ही *इसके प्रयोग से रक्त परिसंचरण भी नियंत्रित रहता है.
अस्थमा के इलाज में भी ये एक कारगर औषधि की तरह काम करता है. कच्चे कटहल को पानी में उबालकर छान लें. जब ये पानी ठंडा हो जाए तो इसे पी लें. नियमित रूप से ऐसा करने से अस्थमा की समस्या में फायदा होता है.
मुंह के छालों में असरदार
जिन लोगों को मुंह में बार-बार छाले होने की शिकायत हो, उन्हें कटहल की कच्ची पत्तियों को चबाकर थूकना चाहिए। आदिवासी हर्बल जानकारों के अनुसार, यह छालों को ठीक कर देता है।इसमें पाए जाने वाले कई खनिज हार्मोन्स को भी नियंत्रित करते हैं.
कटहल में मैग्नीशियम भी पर्याप्त मात्रा में होता है. जिसकी वजह से हड्डियां भी स्वस्थ और मजबूत रहती हैं.