जड़ी-बूटी क्या है

जड़ी-बूटी

 जड़ी-बूटी आमतौर पर एक वनस्पति से प्राप्त होने वाली सामग्री है, जिसे आमतौर पर फल, फूल पत्ते, शाखा, छाल, रस, बीज, जड़ या किसी अन्य भाग के रूप में प्राप्त किया जाता है। इनसे प्राप्त होने वाली सुगंध व अन्य गुणों को देखते हुए आयुर्वेद में इन्हें महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। भारत में वनस्पतियों पर आधारित एक विशेष सर्वे किया गया और उसमें पाया कि यहां 8000 से भी अधिक पेड़-पौधे पाए जाते हैं, जिनसे अलग-अलग प्रकार की जड़ी-बूटियां प्राप्त होती हैं। वनस्पतियों से प्राप्त होने वाली ऐसी सामग्री में औषधीय गुण मौजूद हों उनमें जड़ी-बूटियां कहा जाता है। वनस्पति से प्राप्त होने वाले फल, फूल पत्ते, शाखा, छाल, रस, बीज या जड़ आदि में अनेक स्वास्थ्यवर्धक लाभ छिपे होते हैं, जिनका इस्तेमाल कई बीमारियों का इलाज करने के लिए किया जाता है।

जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल

जड़ी-बूटियों को हजारों सालों से कई क्षेत्रों में इस्तेमाल में लाया जा रहा है।आजकल भी भोजन में स्वाद व सुगंध बढ़ाने से लेकर गंभीर रोगों का इलाज तक जड़ी-बूटियों का उपयोग काफी प्रचलित है। भारत में ऐसे कई व्यंजन हैं, जिनमें स्वाद व सुगंध बढ़ाने के लिए अनेक प्रकार की जड़ी-बूटियों का उपयोग किया जाता है।

जड़ी-बूटियों में अनेक औषधीय गुण होते हैं और आयुर्वेद समेत कई प्राचीन चिकित्सा प्रणालियों में रोगों का इलाज करने के लिए इनका इस्तेमाल किया जाता है। इतना ही नहीं कई ऐसी एलोपैथिक दवाएं हैं, जिनमें कुछ प्राकृतिक जड़ी-बूटियों को एक सामग्री के रूप में डाला जाता है।

आजकल मार्केट में शैम्पू, तेल, साबुन और टूथपेस्ट समेत सैंकड़ों ऐसे प्रोडक्ट उपलब्ध हैं, जिनके बारे में दावा किया जाता है कि वे जड़ी-बूटियों से बने हैं।

मॉडर्न मेडिसिन व प्रोडक्ट्स में महत्व

जड़ी बूटियों का इस्तेमाल सिर्फ प्राचीन चिकित्सा प्रणालियों और रसोई घरों तक ही सीमित नहीं रहा है। इन्हें आजकल अनेक दवाएं व अन्य प्रोडक्ट बनाने में भी इस्तेमाल किया जाता है जिनमें निम्न शामिल हैं -

क्विनीन (Quinine), एस्पिरिन (Aspirin) और मोर्फिन (Morphine) जैसी कुछ दवाएं हैं जिन्हें बनाने के लिए प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल भी किया जाता है।

हर्बल उत्पादों के अलावा ऐसे कई मॉडर्न प्रोडक्ट भी उपलब्ध हैं, जिनमें कई जड़ी बूटियों को एक सामग्री के रूप में इस्तेमाल किया गया होता है। इनमें कई कॉस्मेटिक प्रोडक्ट भी शामिल हैं।

जड़ी-बूटियों को इस्तेमाल करने का तरीका

जड़ी-बूटियों के प्रकारों की तरह इनके इस्तेमाल करने के तरीके भी अलग-अलग हैं। कुछ जड़ी बूटियों को कूट कर उनका इस्तेमाल किया जाता है, जबकि कुछ से निकले रस को या उन्हें सुखाकर उपयोग में लाया जाता है। वहीं स्वास्थ्य समस्या के प्रकार पर भी किसी जड़ी-बूटी का इस्तेमाल निर्भर करता है। उदाहरण के लिए त्वचा संबंधी किसी समस्या में हर्ब्स को कूट कर या उनका लेप बनाकर क्षतिग्रस्त हिस्से में लगाया जाता है। वहीं अंदरूनी रोग या सूजन जैसी स्थितियों में जड़ी-बूटी का सेवन किया जा सकता है।

यदि सरल शब्दों में कहें तो किसी जड़ी-बूटी का किस तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है, यह हर्ब व रोग दोनों के प्रकार पर ही निर्भर करता है।

जड़ी-बूटियों के लाभ

जड़ी-बूटियों के प्रकार के अनुसार इससे प्राप्त होने वाले लाभ भी अनेक होते हैं, जो आमतौर पर उस विशेष जड़ी-बूटी पर निर्भर करता है जिसका इस्तेमाल किया जा रहा है। जड़ी-बूटियों से प्राप्त होने वाले प्रमुख लाभ निम्न हैं -

जड़ी-बूटियों के स्वास्थ्य लाभ - 

हर्ब्स में कई प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट, एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटी एनाल्जेसिक गुण पाए जाते हैं जिनसे निम्न स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं -

एंटीऑक्सीडेंट्स की मदद से शरीर में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम किया जा सकता है। साथ ही ये शरीर से फ्री-रेडिकल्स को निकाल देते हैं, जिससे शरीर की कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त होने से बचाया जाता है। इतना ही नहीं एंटीऑक्सीडेंट हृदय रोग व कैंसर समेत कई रोगों से शरीर को बचाने का काम करते हैं।

एंटी इंफ्लेमेटरी शरीर में होने वाली अतिरिक्त सूजन को कम करने में मदद करते हैं। हालांकि, यह एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, लेकिन कई बार सूजन बढ़ जाने से स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो जाती हैं। ऐसी स्थितियों में जड़ी-बूटियों में मौजूद एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों की मदद से शरीर के अंदरूनी या बाहरी हिस्सों में सूजन को कम किया जा सकता है।

एंटी-एनाल्जेसिक शरीर के लिए आवश्यक तत्व होता है, जो दर्द को कम करने में मदद करता है। इन गुणों से भरपूर होने के कारण कई जड़ी-बूटियां एक प्रभावी पेन किलर के रूप में काम करती हैं। इसलिए गठिया समेत अन्य रोगों से पीड़ित मरीजों के लिए एनाल्जेसिक प्रभावों युक्त जड़ी-बूटियां काफी प्रभावी हो सकती हैं।

जड़ी-बूटियों के साइड इफेक्ट्स

कई अलग-अलग प्रकार की जड़ी-बूटियों पर अलग-अलग प्रकार के अध्ययन किए जा चुके हैं, जिनमें से कुछ में दावा किया गया कि ये शरीर निश्चित रूप से नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं। वहीं अन्य अध्ययनों में इसके कोई संकेत नहीं पाए गए हैं। जड़ी-बूटियों से संभावित रूप से निम्न साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं -

जड़ी-बूटियों में कई अलग-अलग प्रकार के रसायन व तत्व पाए जाते हैं, जिनसे कुछ लोग एलर्जिक हो सकते हैं। ऐसे में जड़ी-बूटियों के संपर्क में आने से उनके शरीर में एलर्जिक रिएक्शन पैदा हो सकता है।

कुछ अध्ययनों में यह भी पाया गया कि कुछ जड़ी-बूटियां ऐसी हैं जिन्हें लंबे समय तक लेने या उनके बने प्रोडक्ट लंबे समय तक इस्तेमाल करने से रक्त में आर्सेनिक व पारा आदि की मात्रा बढ़ जाती है।

हर्ब्स पर अन्य अध्ययन किए गए और जिनमें पाया गया कि जड़ी-बूटियों में कुछ विशेष प्रकार के शक्तिशाली तत्व पाए जाते हैं, जिन्हें फिल्टर करने के लिए गुर्दों को अधिक मेहनत करनी पड़ती है और इस कारण से गुर्दे खराब होना या गुर्दे संबंधी अन्य रोग होने का खतरा बढ़ जाता है।

कुछ जड़ी-बूटियों को पचाना भी थोड़ा मुश्किल होता है, जिनका अधिक सेवन करने से पेट में दर्द, गैस व अन्य समस्याएं भी हो सकती है।

हाल ही में किए गए एक अध्ययन में यह भी पाया गया कि कुछ जड़ी-बूटियां लिवर समेत पेट में मौजूद कई अंगों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं।

इसके अलावा कुछ लोगों में जड़ी-बूटियों का सामान्य से अधिक सेवन करने से रक्त शर्करा व रक्तचाप का स्तर सामान्य से कम या ज्यादा होने का खतरा बढ़ जाता है। वहीं कुछ हर्बल प्रोडक्ट खून को पतला करने का काम करते हैं, जिनके कारण ब्लीडिंग जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं। 

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