परिचय
हॉर्मोन्स या शरीर की अन्तःस्त्रावी ग्रंथियां द्वारा निर्मित स्त्राव की कमी या अधिकता से अनेक रोग उत्पन्न हो जाते है जैसे मधुमेह, थयरॉइड रोग, मोटापा, कद संबंधी समस्याऍं, अवॉंछित बाल आना आदि इंसुलिन नामक हॉर्मोन की कमी या इसकी कार्यक्षमता में कमी आने से मधुमेह रोग या डाइबीटीज मैलीट्स रोग होता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष 2025 में भारत में दुनिया के सबसे अधिक पॉंच करोड, सत्तर लाख मधुमेह रोगी होंगे। विकसित देशों में यह रोग बढने से रोका जा रहा है किन्तु विकासशील देशों में खासकर भारत में ये एक महामारी की भॉंति विकराल रूप लेता दिखाई देता है। प्रतिवर्ष विश्व में लाखों मधुमेह रोगियों की अकाल मृत्यु या आकस्मिक देहांत हो जाता है, जबकि जीवन के इन अमूल्य वर्षो को बचाकर सामान्य जीवनयापन किया जा सकता है।
तेजी से बढते शहरीकरण, आधुनिक युग की समस्याऍं व तनाव, अचानक खानपान व रहन-सहन में आये परिवर्तन एवं पाश्त्यकरण (फास्ट फूड, कोकाकोला इंजेक्शन) प्रचुर मात्रा में भोजन की उपलब्धता व शारीरिक श्रम की कमी के कारण मधुमेह हमारे देश में आजकल तेजी से बढ रहा है। मधुमेह या शूगर रोग में रक्त में ग्लूकोस सामान्य से अधिक हो जाता है और ग्लूकोस के अलावा वसा एवं प्रोटीन्स के उपापचन भी प्रभावित होते हैं ये रोग किसी भी उम्र में हो सकता है भारत में 95 प्रतिशत से ज्यादा रोगी वयस्क है।
मधुमेह के प्रमुख लक्षण
- वजन में कमी आना।
- अधिक भूख प्यास व मूत्र लगना।
- थकान, पिडंलियो में दर्द।
- बार-बार संक्रमण होना या देरी से घाव भरना।
- हाथ पैरो में झुनझुनाहट, सूनापन या जलन रहना।
- नपूंसकता।
कुछ लोगों में मधुमेह अधिक होने की संभावन रहती है, जैसे-मोटे व्यक्ति, परिवार या वंश में मधुमेह होना, उच्च रक्तचाप के रोगी, जो लोग व्यायाम या शारीरिक श्रम कम या नहीं करते हैं शहरी व्यक्तियों को ग्रामीणो की अपेक्षा मधुमेह रोग होने की अधिक संभावना रहती है।
मधुमेह रोग की विकृतियॉ
शरीर के हर अंग का ये रोग प्रभावित करता है, कई बार विकृति होने पर ही रोग का निदान होता है और इस प्रकार रोग वर्षो से चुपचाप शरीर में पनप रहा होता है।
कुछ खास दीर्घकालीन विकृतियॉः-
- प्रभावित अंग प्रभाव का लक्षण
- नेत्र समय पूर्व मोतिया बनना, कालापानी, पर्दे की खराबी(रेटिनापैथी) व अधिक खराबी होने पर अंधापन।
- हदय एवं धमनियॉ हदयघात (हार्ट अटैक) रक्तचाप, हदयशूल (एंजाइना)।
- गुर्दा मूत्र में अधिक प्रोटीन्स जाना, चेहरे या पैरो पर या पूरे शरीर पर सूजन और अन्त में गुर्दो की कार्यहीनता या रीनल फैल्योर।
- मस्तिष्क व स्नायु तंत्र उच्च मानसिक क्रियाओ की विकृति जैसे- स्मरणशक्ति, संवेदनाओं की कमी, चक्कर आना, नपुंसकता (न्यूरोपैथी), लकवा।
निदान
रक्त में ग्लूकोस की जॉंच द्वारा आसानी से किया जा सकता है। सामन्यतः ग्लूकोस का घोल पीकर जॉंच करवाने की आवश्यकता नही होती प्रारंभिक जॉंच में मूत्र में ऐलबूमिन व रक्त वसा का अनुमान भी करवाना चाहिए।
उपचार
मात्र रक्त में ग्लूकोस को कम करना मधुमेह का पूर्ण उपचार नहीं है उपयुक्त भोजन व व्यायाम अत्यंत आवश्यक है।
कुछ प्रमुख खाद्य वस्तुऍं ज्रिन्हे कम प्रयोग में लाना चाहिए
नमक, चीनी, गुड, घी, तेल, दूध व दूध से निर्मित वस्तुऍं परांठे, मेवे, आइसक्रीम, मिठाई, मांस, अण्डा, चॉकलेट, सूखा नारियल
खाद्य प्रदार्थ जो अधिक खाना चाहिए
- हरी सब्जियॉं, खीरा, ककडी, टमाटर, प्याज, लहसुन, नींबू व सामान्य मिर्च मसालों का उपयोग किया जा सकता है। आलू, चावल व फलों का सेवन किया जा सकता है। ज्वार, चना व गेहूं के आटे की रोटी (मिस्सी रोटी) काफी उपयोगी है सरसों का तेल अन्य तेलों (सोयाबीन, मूंगफली, सूर्यमुखी) के साथ प्रयोग में लेना चाहिए भोजन का समय जहॉं तक संभव हो निश्चित होना चाहिए और लम्बे समय तक भूखा नही रहना चाहिये।
- भोजन की मात्रा चिकित्सक द्वारा रोगी के वजन व कद के हिसाब से कैलोरीज की गणना करके निर्धारित की जाती है।
- करेला, दाना मेथी आदि के कुछ रोगियों को थोडा फायदा हो सकता है किन्तु केवल इन्ही पर निर्भर रहना दवाओ का उपयोग न करना निरर्थक है।
उपचार का दूसरा पहलू है व्यायाम- नित्य लगभग 20-40 मिनट तेज चलना, तैरना साइकिल चलाना आदि पर पहले ये सुनिश्चित करना आवश्यक है कि आपका शरीर व्यायाम करने योग्य है कि नहीं है। योगाभ्यास भी उपयोगी है। बिल्कुल खाली पेट व्यायाम नहीं करना चाहिए।
भोजन में उपयुक्त परिवर्तन व व्यायाम से जहॉं एक ओर रक्त ग्लूकोस नियंत्रित रहता है वहीं दुसरी ओर शरीर का वजन संतुलित रहता है ओर रक्तचाप नियंत्रण में मदद भी मिलती है।
दवाऍ
बच्चों में मधुमेह का एकमात्र इलाज है इंसुलिन का नित्य टीका। वयस्को में गोलियों व टीके का उपयोग किया जा सकता है। ये एक मिथ्या है कि जिसे एक बार इंसुलिन शुरू हो गयी है उसे जिन्दगी भर ये टीका लगवाना पडेगा गर्भावस्था में इन्सुलिन ही एक मात्र इलाज है।
विकसित देशों में मधुमेह के स्थायी इलाज पर खोज जारी है और गुर्दे के प्रत्यारोपण के साथ-साथ पैनक्रियास प्रत्यारोपण भी किया जा रहा है, हालांकि ये अभी इतना व्यापक और कारगर साबित नहीं हुआ है।
मधुमेह रोगियो को क्या सावधानियॉं बरतनी चाहिए
- नियमित रक्त ग्लूकोस, रक्तवसा व रक्त चाप की जॉंच।
- निर्देशानुसार भोजन व व्यायाम से संतुलित वजन रखें।
- पैरो का उतना ही ध्यान रखें जितना अपने चेहरे का रखते हैं क्योंकि पैरो पर मामूली से दिखने वाले घाव तेजी से गंभीर रूप ले लेते हैं ओर गैंग्रीन में परिवर्तित हो जाते हैं जिसके परिणाम स्वरूप पैर कटवाना पड सकता है।
- हाइपाग्लाइसिमिया से निपटने के लिए अपने पास सदैव कुछ मीठी वस्तु रखें, लम्बे समय तक भूखे न रहें।
- धूम्रपान व मदिरापान का त्याग।
- अनावश्यक दवाओं का उपयोग न करें।
- अचानक दवा कभी बन्द न करें।
- सरकार द्वारा एड्स, टी.बी, मलेरिया, कुष्ठ रोग आदि पर करोडो रूपये खर्च किये जाते हैं जिसके अच्छे नतीजें सामने आ रहे है इसी प्रकार आवश्यकता है मधुमेह का भी श्रेणी में लाकर इससे प्रभावी तरीके से निबटा जाये।